Happy Deewali

इस दीपावली के शुभ अवसर पर चलो एक प्रतिज्ञा लें ( केवल वही लोग लें जो प्रयास तक करने में इच्छुक हों ) कि यदि हम कभी भी किसी का बुरा न सोचकर उस बुरी सोच को ही खत्म कर दें तो हम कितने सरल हो जाएंगे । कभी- कभी मेरे दिल में खयाल आता है क्यों हमारी इंसानों की बस्ती में इतने चेहरे हैं? अरे अपनी असलियत छिपाना तो इस मनुष्य की कला बनती जा रही है।  हर साल यह दिन आता है और हर साल आप लोग दीपक जलाते हैं, ये पटाखे फोड़ कर आप अपने आप के राक्षस को क्यों नहीं मार देते? क्यों पवित्र दीयों को भी खराब कर रहे हैं? उन मजदूरों की मेहनत का ज़रा तो ख्याल कीजिये जो मेहनत से उन्हें बनाते हैं और केवल न के बराबर मूल्य में उन्हें बेचते हैं। आइये एक पल और सोच लिया जाए क्या हम कुछ पल शांत रह कर आत्मनिरीक्षण कर सकते हैं?

 बार बार दूसरों को कोसना तो हमारी आदत सी बन गयी है, बात दीजिये कितनी बार अपनी गलतियों को स्वयं ढूंढने का प्रयास किया है? जो स्वयं को प्रसन्न करे वही कीजिये, बाकी दुनिया तो अपना पैर हर जगह डालती है। इस दीपावली के शुभ अवसर पर आइये उस हर चीज़ को अपने अंतर्मन से मिटा दें जो आपपर हावी पड़ती हैं। और उन्हें अपने दिल के द्वार से स्वागत कर कर बुलाएं जो आपको सुकून देती हैं।  कोई आपका तब तक नहीं होता जब तक आप स्वयं उसे अपना बनाने का प्रयास नहीं करते।

जैसे हम अपनी खोई हुई वस्तु को ढूंढते हैं, तो क्या हम खोया हुआ कोई अपने को नहीं ढूंढ सकते?

जवाब दे दीजिए

 हर उस इंसान से माफी मांगिये जिसने आपकी वजह या बेवजह से आंसू बहाये, असल में तो दीवाली आपकी तब मनाई जाएगी और जाते जाते एक कार्य और करते जाइये यह सब करने के बाद (अगर हिम्मत रखते हैं) तो अपने जन्मदाता माता और पिता को बताएगा उन्हें अत्यंत प्रसन्ता मिलेगी । आप नीचे नहीं और ऊंचे हो जाएंगे। बाकी आपकी मर्जी , जबरदस्ती तो आज के ज़माने में कोई किसी से नहीं कर सकता।

प्रभु से कुछ भी मांगने से पहले सोचिये, और सोचने से पहले समझिएगा ज़रूर ।
जय हिंद

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